वक़्त के कत्लखाने में
सांसें गिनती जिंदगी
कितने ही एहसासों को
खुद के भीतर दबाए
हर पल
मांगती रहती है मन्नतें
इस दुनिया के पार जाने की
लेकिन
तैयार नहीं
देने को
इम्तिहान
तो विकल्प क्या ...?
हाँ विकल्प है
सिर्फ एक ही विकल्प
कि वक़्त के कत्लखाने में
सांसें गिनती जिंदगी
वक़्त से पहले ही
कूदकर नीचे
हो जाए मुक्त
इन तमाम झंझटों से।
~यशवन्त यश©
सांसें गिनती जिंदगी
कितने ही एहसासों को
खुद के भीतर दबाए
हर पल
मांगती रहती है मन्नतें
इस दुनिया के पार जाने की
लेकिन
तैयार नहीं
देने को
इम्तिहान
तो विकल्प क्या ...?
हाँ विकल्प है
सिर्फ एक ही विकल्प
कि वक़्त के कत्लखाने में
सांसें गिनती जिंदगी
वक़्त से पहले ही
उम्मीदों की
सबसे ऊपरी मंज़िल से कूदकर नीचे
हो जाए मुक्त
इन तमाम झंझटों से।
~यशवन्त यश©
कूदना जरूरी नहीं
ReplyDeleteउतर कर धीरे धीरे
चल कर भी तो
आ सकती है
जिंदगी
वक्त के साथ साथ
कत्लखाने में
ही सही :)
badhiya
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteजिन्दगी अमूल्य है..बस यह बात जान ले तो यह भी जान लेगी कि हर उम्मीद टूटने के लिए ही होती है..उसका और कोई उपयोग नहीं है, इससे सीख लेकर ही तो जिंदगी अपनी कीमत जान पाती है
ReplyDeleteगहन प्रस्तुति.....बहुत बढिया..
ReplyDeleteI loved the theme. The inner desire to break free :)
ReplyDeleteNice read
ऐसा नहीं होता कि सिर्फ निराशा ही निराशा हो आशा छिपी हुई हो सकती है नष्ट नहीं डट कर सामना करने की जरूरत है ....
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