प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

09 March 2014

हर कोई है यहाँ अपने मे मशगूल

हर कोई है यहाँ
अपने मे मशगूल
किसी को बीता कल याद है
और कोई
आज मे ही आबाद है
कोई डूबा है
आने वाले कल की चिंता में
कोई बेफिकर
देखता जा रहा है
मिट्टी के पुतलों के भीतर
छटपटाती आत्माओं की
बेचैनी ।

हाँ
हर कोई है यहाँ
मशगूल
बदलते वक्त के साथ
दर्पण में
खुद की बदलती
तस्वीर देखने में
पर सच तो यही है
कि इन तस्वीरों का यथार्थ
दिल दिमाग के
बदलने पर भी
नहीं बदलता
रंग रूप की तरह।

 ~यशवन्त यश©

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .बधाई

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (10-03-2014) को आज की अभिव्यक्ति; चर्चा मंच 1547 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. सच कहा अहि ... नहीं बदलता स्वार्थी चेहरा ..

    ReplyDelete
  4. भीतर कुछ है जो कभी नहीं बदलता...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर और ससक्त रचना ...

    ReplyDelete
  6. जीवन कि लकीरों को उकेरती कहानी

    ReplyDelete
  7. यही तो है इस जीवन की असली सच्चाई .... सुन्दर रचना … हार्दिक शुभकामनायें 

    ReplyDelete
1261
12027
+Get Now!