आओ चलें
तंत्र की यह पुकार है
आओ चलें
माना अलग विचार हैं
आओ चलें
धारा को जो स्वीकार है
आओ चलें
धूप या बरसात में
आओ चलें
बर्फ की बौछार में
आओ चलें
हर वेश में परिवेश में
आओ चलें
स्वतन्त्रता तैयार है
आओ चलेंहर कोई होशियार है
आओ चलें
इससे पहले कि पछताएँ
आओ चलें
इस काम में क्यों शरमाएँ
आओ चलें
आओ चलें आओ चलें
आओ चलें
मतदान का कर्तव्य
हर हाल में पूरा करें
आओ चलें ।
~यशवन्त माथुर ©
आओ चलें ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना बुधवार 09 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
bahut khoob likha hai, sunder sandesh.
ReplyDeleteshubhkamnayen
हमने तो वोट दे भी दिया..
ReplyDeleteबहुत सुंदर.लोकतंत्र के महापर्व में आमजन की भागीदारी होनी ही चाहिए.
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