कुछ लोग
अक्सर खेला करते हैं
आग से
कभी झुलसते हैं
कभी
जलते हैं
न जाने किस डाह को
साथ लिये चलते हैं...
शायद डरते हैं
खतरे में देख कर
खुद के अहंकार की नींव
जो दिन पर दिन
खोखली होती रह कर
ढह जानी है
एक दिन
अनजान भूकंप के
एक हल्के झटके भर से ....
ऐसे लोग
बे खबर हो कर
अपनी नाक के अस्तित्व से
करते हैं वार
पूरी ताकत से
और धूल में मिल जाते हैं
'ब्रह्मास्त्र' की दिशा
उलट जाने के साथ।
~यशवन्त यश©
अक्सर खेला करते हैं
आग से
कभी झुलसते हैं
कभी
जलते हैं
न जाने किस डाह को
साथ लिये चलते हैं...
शायद डरते हैं
खतरे में देख कर
खुद के अहंकार की नींव
जो दिन पर दिन
खोखली होती रह कर
ढह जानी है
एक दिन
अनजान भूकंप के
एक हल्के झटके भर से ....
ऐसे लोग
बे खबर हो कर
अपनी नाक के अस्तित्व से
करते हैं वार
पूरी ताकत से
और धूल में मिल जाते हैं
'ब्रह्मास्त्र' की दिशा
उलट जाने के साथ।
~यशवन्त यश©
सुंदर ।
ReplyDeletebohat khoob..
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