कुंठा के
विष से भरे
कुछ लोग
अक्सर भूल जाते हैं
अपने बीते दिन
और वो बीती बातें
जिनके आधार पर
खड़ी है
उनके आज की
संगमरमरी इमारत.....
जिसे कभी महल
तो कभी ताज़ कह कर
लोग निहारा करते हैं
बातें किया करते हैं
मगर
मोहब्बत की वो मिसाल
खुद के भीतर
समेटे रहती है
अनगिनत
कटे हाथों के ज़ख्म .....
...फिर भी
नहीं चाहते छोड़ना
अपनी अजीब सी फितरत
गैरों के कह देने भर से
बिना कुछ समझे
बिना कुछ जाने
कुंठा के
विष से भरे
कुछ लोग
आस्तीनों
बाहर निकल कर
दिखा ही देते हैं
अपना सही रूप रंग।
~यशवन्त यश©
विष से भरे
कुछ लोग
अक्सर भूल जाते हैं
अपने बीते दिन
और वो बीती बातें
जिनके आधार पर
खड़ी है
उनके आज की
संगमरमरी इमारत.....
जिसे कभी महल
तो कभी ताज़ कह कर
लोग निहारा करते हैं
बातें किया करते हैं
मगर
मोहब्बत की वो मिसाल
खुद के भीतर
समेटे रहती है
अनगिनत
कटे हाथों के ज़ख्म .....
...फिर भी
नहीं चाहते छोड़ना
अपनी अजीब सी फितरत
गैरों के कह देने भर से
बिना कुछ समझे
बिना कुछ जाने
कुंठा के
विष से भरे
कुछ लोग
आस्तीनों
बाहर निकल कर
दिखा ही देते हैं
अपना सही रूप रंग।
~यशवन्त यश©
aap bahat khub surti se keh diya kuntha se bhara logo ke bare me. dhanyabad Yashwant ji
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteनई रचना : १० पैसे की दुवाएँ - लघु कथा
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 3/08/2014 को "ये कैसी हवा है" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1694 पर.
असलियत कितनी भी छिपाई जाये नजर आ ही जाती है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...उम्दा
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..उम्दा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह .... बहुत ही सच लिखा अहि कुछ लोगों के बारे में ...
ReplyDeleteउम्दा
ReplyDeleteshaandaar prastuti
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