सभी मित्रों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !
एक तरफ रंक
एक तरफ राजा
कहीं दौलत का बंद
कहीं खुला दरवाजा .....
बड़ी मुश्किल से कहीं
पिसता गेहूं आटा
देखो यहीं कहीं
कोई पिस्ता मेवा खाता ....
बचपन कहीं पचपन
कहीं पचपन मे बचपन
चाँदी की चम्मच को
कोई ढालता कोई खाता .....
ऐसा ही है जीवन
यहाँ दो रंगों वाला
दो जून का निवाला
कोई किस्मत से ही पाता .....
ढूंढ रहा भारत
कहाँ भाग्य विधाता है
लाल किले पर शान से
तिरंगा लहराता है ......... ।
~यशवन्त यश©
एक तरफ रंक
एक तरफ राजा
कहीं दौलत का बंद
कहीं खुला दरवाजा .....
बड़ी मुश्किल से कहीं
पिसता गेहूं आटा
देखो यहीं कहीं
कोई पिस्ता मेवा खाता ....
बचपन कहीं पचपन
कहीं पचपन मे बचपन
चाँदी की चम्मच को
कोई ढालता कोई खाता .....
ऐसा ही है जीवन
यहाँ दो रंगों वाला
दो जून का निवाला
कोई किस्मत से ही पाता .....
ढूंढ रहा भारत
कहाँ भाग्य विधाता है
लाल किले पर शान से
तिरंगा लहराता है ......... ।
~यशवन्त यश©
वास्तविकता है ..............बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteस्वतंत्रता में विडम्बना बहुत हैं... सटीक सामयिक चिंतन
ReplyDeleteराष्ट्रीय पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही सार्थक प्रस्तुति। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपको भी भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऐं ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (16-08-2014) को “आजादी की वर्षगाँठ” (चर्चा अंक-1707) पर भी होगी।
--
हमारी स्वतन्त्रता और एकता अक्षुण्ण रहे।
स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सटीक रचना
ReplyDeleteयही असमानता और विविधता तो आगे बढने को प्रेरित करती है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteshashakt steek saarthak abhivyakti
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