जब देखता हूँ
डायरी के
भरे हुए पन्नों पर
बिखरे हुए जज़्बातों को
तो लगता है
शब्दों की यह दुनिया
कितनी विचित्र
किन्तु सत्य है ....
विचित्र इसलिये
कि मन की भित्ति पर
उभरी आड़ी तिरछी भावनाएँ
किसी प्रतिलिपि की तरह
इन पन्नों पर
हू ब हू
मेल खाती दिखती हैं .....
और सत्य इसलिये
कि इन पन्नों पर
जो दर्ज़ या दफ़न है
वह असत्य से कोसों दूर
बाहें फैलाए
कभी अपनी ओर खींचता सा
कभी आवाज़ देता सा लगता है ....
रंगबिरंगी स्याही से रंगे
डायरी के
इन चंद पन्नों पर
समाया रहता है
देश दुनिया का
पूरा इतिहास-भूगोल
खुशी-गम
बुढ़ापा और बचपन
जीवन का गूढ दर्शन ....
इसीलिए
जब देखता हूँ
बंद डायरी के
भरे हुए पन्नों पर
बिखरे हुए जज़्बातों को
तो लगता है
शब्दों की यह विचित्र
किन्तु सत्य दुनिया
बहुत आगे है
अमरत्व की कल्पना से।
~यशवन्त यश©
डायरी के
भरे हुए पन्नों पर
बिखरे हुए जज़्बातों को
तो लगता है
शब्दों की यह दुनिया
कितनी विचित्र
किन्तु सत्य है ....
विचित्र इसलिये
कि मन की भित्ति पर
उभरी आड़ी तिरछी भावनाएँ
किसी प्रतिलिपि की तरह
इन पन्नों पर
हू ब हू
मेल खाती दिखती हैं .....
और सत्य इसलिये
कि इन पन्नों पर
जो दर्ज़ या दफ़न है
वह असत्य से कोसों दूर
बाहें फैलाए
कभी अपनी ओर खींचता सा
कभी आवाज़ देता सा लगता है ....
रंगबिरंगी स्याही से रंगे
डायरी के
इन चंद पन्नों पर
समाया रहता है
देश दुनिया का
पूरा इतिहास-भूगोल
खुशी-गम
बुढ़ापा और बचपन
जीवन का गूढ दर्शन ....
इसीलिए
जब देखता हूँ
बंद डायरी के
भरे हुए पन्नों पर
बिखरे हुए जज़्बातों को
तो लगता है
शब्दों की यह विचित्र
किन्तु सत्य दुनिया
बहुत आगे है
अमरत्व की कल्पना से।
~यशवन्त यश©
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteअर्थपूर्ण....
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना बुधवार 03 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
शब्दों की दुनिया, सचमुच अद्भुत ही होती है !
ReplyDeleteसुंदर भाव...
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteबहुत भावभीनी रचना |
ReplyDeleteशब्दों की यही दुनिया सत्य है !
ReplyDeleteशब्दों की दुनिया असीम है। उड़ान भरते जाइए।
ReplyDeletewah kya baat hai yash ji...beautifuly written lines
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण रचना...
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