14 September 2014

भाषा

भाषा
माध्यम है
वरदान है
हरेक जीव को
कुछ
अपनी कहने का
सबकी सुनने का
कभी इशारों से
कभी ज़ुबान से
अपने कई रूपों से
जीवन में
रच बस कर
ले जाती है
कभी प्रेम के
असीम विस्तार तक
और कभी
डुबो देती है
घृणा या द्वेष के
गहरे समुद्र में  ।

भाषा
कभी सिमटी रहती है
नियमों की
परिधि के भीतर
और कभी
अनगिनत
शब्दों के
सतरंगी आसमान में
बे परवाह
उड़ते रह कर
कराती है एहसास
धरती पर
जीवन के होने का।

~यशवन्त यश©

9 comments:

  1. हिंदी दिवस पर शुभकामनाऐं ।
    सुंदर प्रस्तुति ।

    ReplyDelete
  2. सुन्दर रचना ...भाषा जीवन को प्रवाह देती है

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति...
    दिनांक 15/09/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
    हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
    हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर

    ReplyDelete
  4. भाषा जोड़ती है हमे अपनी धरती से … सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (15-09-2014) को "हिंदी दिवस : ऊंचे लोग ऊंची पसंद" (चर्चा मंच 1737) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हिन्दी दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  6. एक पल को सोचा अगर भाषा न हो तो जीवन निर्थक ही रह जायेगा

    बात जहाँ तक पहुंचनी चाहिए थी वहां तक पहुंची

    आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. भाषा की सुंदर परिभाषा...

      Delete
  7. भाषा की सुंदर परिभाषा ! "कराती है अहसास, धरती पर जीवन के होने का" :)

    ReplyDelete