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08 September 2014

सब सपने सच नहीं होते

सुना था
कुछ सपने
बदलते हैं
हकीकत में
कभी कभी
देते हैं
न बयां होने वाली
खुशी
लेकिन
यह काल कोठरी
तमाम बदलावों और
रूप परिवर्तनों के बाद भी
अब भी वैसी ही है
जिसके रोशनदान से
झाँकती
उम्मीद की
कुछ सफ़ेद लकीरें
अपने तय रास्ते से
भटक कर
पहले से जमा
कालिख में
कहीं गुम होकर
घुल मिल जाती हैं
उसी कालकोठरी की
तन्हाई में
जिसके लिए सपने
ऐसी हकीकत होते हैं
जो कभी
सच नहीं होती।

~यशवन्त यश©

7 comments:

  1. बहुत बहुत बहुत बढ़िया रचना हकीकत बयान कर रही है |

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  2. सब सपने सच नहीं होते पर फिर भी देखना कोई बंद नहीं करता ... न ही बंद करना चाहिए ...

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  3. Sapne sach nhi hote...agar sach ho jaayein to sapne kaise...parb inke tootane ki peeda bhi bhut hoti hai.... Sunder rachna....

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