सुना था
कुछ सपने
बदलते हैं
हकीकत में
कभी कभी
देते हैं
न बयां होने वाली
खुशी
लेकिन
यह काल कोठरी
तमाम बदलावों और
रूप परिवर्तनों के बाद भी
अब भी वैसी ही है
जिसके रोशनदान से
झाँकती
उम्मीद की
कुछ सफ़ेद लकीरें
अपने तय रास्ते से
भटक कर
पहले से जमा
कालिख में
कहीं गुम होकर
घुल मिल जाती हैं
उसी कालकोठरी की
तन्हाई में
जिसके लिए सपने
ऐसी हकीकत होते हैं
जो कभी
सच नहीं होती।
~यशवन्त यश©
कुछ सपने
बदलते हैं
हकीकत में
कभी कभी
देते हैं
न बयां होने वाली
खुशी
लेकिन
यह काल कोठरी
तमाम बदलावों और
रूप परिवर्तनों के बाद भी
अब भी वैसी ही है
जिसके रोशनदान से
झाँकती
उम्मीद की
कुछ सफ़ेद लकीरें
अपने तय रास्ते से
भटक कर
पहले से जमा
कालिख में
कहीं गुम होकर
घुल मिल जाती हैं
उसी कालकोठरी की
तन्हाई में
जिसके लिए सपने
ऐसी हकीकत होते हैं
जो कभी
सच नहीं होती।
~यशवन्त यश©
achhi kavita bhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत बढ़िया रचना हकीकत बयान कर रही है |
ReplyDeleteसब सपने सच नहीं होते पर फिर भी देखना कोई बंद नहीं करता ... न ही बंद करना चाहिए ...
ReplyDeleteवाह...बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteSapne sach nhi hote...agar sach ho jaayein to sapne kaise...parb inke tootane ki peeda bhi bhut hoti hai.... Sunder rachna....
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