नोटों पर छपी
तुम्हारी
मुस्कुराती तस्वीर
हर रोज़ गुजरती है
न जाने कितने ही
काले हाथों से ........
दीवारों पर लगी
तुम्हारी
मुस्कुराती तस्वीर
हर रोज़ गवाह बनती है
न जाने कितने ही
असत्य बोलों की .......
तुम
बदलना चाहते थे
देश समाज
और विश्व
पर तुम्हारा
असीम संघर्ष
अंतिम साँस के साथ ही
दफन हो गया
उन किताबों के
गर्द भरे पन्नों पर
जिन्हें झाड़ पोछ कर
सजाया जाता है
हर साल
आज ही के दिन .....
मुझे बताओ
तुम कहाँ हो ?
अगर हो यहीं कहीं
तो क्या दिला सकते हो यकीं
कि तुम फिर आओगे
आज की
छटपटाती आज़ादी को
दिखाने एक नयी राह .....
बापू !
क्या ऐसा हो सकता है ?
~यशवन्त यश©
तुम्हारी
मुस्कुराती तस्वीर
हर रोज़ गुजरती है
न जाने कितने ही
काले हाथों से ........
दीवारों पर लगी
तुम्हारी
मुस्कुराती तस्वीर
हर रोज़ गवाह बनती है
न जाने कितने ही
असत्य बोलों की .......
तुम
बदलना चाहते थे
देश समाज
और विश्व
पर तुम्हारा
असीम संघर्ष
अंतिम साँस के साथ ही
दफन हो गया
उन किताबों के
गर्द भरे पन्नों पर
जिन्हें झाड़ पोछ कर
सजाया जाता है
हर साल
आज ही के दिन .....
मुझे बताओ
तुम कहाँ हो ?
अगर हो यहीं कहीं
तो क्या दिला सकते हो यकीं
कि तुम फिर आओगे
आज की
छटपटाती आज़ादी को
दिखाने एक नयी राह .....
बापू !
क्या ऐसा हो सकता है ?
~यशवन्त यश©
सुन्दर रचना
ReplyDeleteदृढ संकल्प हो तो आज हर कोई "बापू" बन सकता है...मगर हर किसी के पास वो कलेजा कहाँ.... हमारा देश भी राम राज्य बन सकता है लेकिन पहल करने वाले वो इंसान कहाँ,
ReplyDeleteखुबसुरत अंदाज
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (03.10.2014) को "नवरात महिमा" (चर्चा अंक-1755)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।दुर्गापूजा की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteBahut sunder rachna....wakaayi jo desh badalna chahta tha aaj unki aatma ko hum sirf sirf dukh de rahein hain.....
ReplyDeleteBahut sunder rachna....wakaayi jo desh badalna chahta tha aaj unki aatma ko hum sirf sirf dukh de rahein hain.....
ReplyDeleteaisa kyun nahi hoga....bapu hamare man me jinda hai
ReplyDeleteवही संदेश प्रकारान्तर से फिर सुनाई देने लगा है !
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