जीवन की इन राहों पर
भीड़ भरे चौराहों पर
अक्सर
भटकते दिखते हैं
कुछ लोग
कुछ खोजते हुए
किसी को
तलाशते हुए ....
कभी उठा लेते हैं
ज़मीन पर गिरा
कोई कागज़ का पुर्जा
पढ़ने को
दिल में बसा
किसी खास का नाम ....
कभी रोक कर
राह चलते इंसानों को
करते हैं
कोशिश
यादों के जाल में
उलझ चुके
किसी अपने के
अक्स को
पहचानने की
उसके गले लग जाने की ....
कभी
उम्मीद से भरा
मुस्कुराता
और कभी
उदासी में डूबा
उतरा सा
चेहरा लिये
कभी
आँखों से
झलकती खुशी
कभी
गम के सैलाब में
भीगते हुए
भटकते हुए
कुछ लोग
जीवन की इन राहों पर
अक्सर मिल कर
दिखा देते हैं
चेहरा
तस्वीर के
दूसरी तरफ का।
~यशवन्त यश©
'कुछ लोग' श्रंखला की अन्य पोस्ट्स
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें
भीड़ भरे चौराहों पर
अक्सर
भटकते दिखते हैं
कुछ लोग
कुछ खोजते हुए
किसी को
तलाशते हुए ....
कभी उठा लेते हैं
ज़मीन पर गिरा
कोई कागज़ का पुर्जा
पढ़ने को
दिल में बसा
किसी खास का नाम ....
कभी रोक कर
राह चलते इंसानों को
करते हैं
कोशिश
यादों के जाल में
उलझ चुके
किसी अपने के
अक्स को
पहचानने की
उसके गले लग जाने की ....
कभी
उम्मीद से भरा
मुस्कुराता
और कभी
उदासी में डूबा
उतरा सा
चेहरा लिये
कभी
आँखों से
झलकती खुशी
कभी
गम के सैलाब में
भीगते हुए
भटकते हुए
कुछ लोग
जीवन की इन राहों पर
अक्सर मिल कर
दिखा देते हैं
चेहरा
तस्वीर के
दूसरी तरफ का।
~यशवन्त यश©
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bahut sundar abhivyakti ....
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4-12-2014 को चर्चा मंच पर गैरजिम्मेदार मीडिया { चर्चा - 1817 } में दिया गया है
ReplyDeleteधन्यवाद
बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
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