13 January 2015

अधूरे से ड्राफ्ट्स...ख्याल ....और जिंदगी

अधूरे ड्राफ्टों मे छुपे
कुछ अधूरे ख्याल
पूरे होने की उम्मीद में
पड़े रहते हैं
बरसों तक....
भविष्य से
बे फिकर
बे परवाह
सोए रहते हैं
गहरी नींद में.....
कभी एकाएक
जाग उठते हैं
पा लेते हैं मंज़िल
और कभी
यूं ही
हो जाते हैं विदा
हमेशा के लिए
चले जाते हैं दूर
सिर्फ एक
'डिलीट' की
चटक भर से  ....

कभी कभी लगता है
यह जिंदगी भी
ऐसी ही है
अधूरे ड्राफ्टों की तरह
अधूरे ख्यालों की तरह
लक्ष्यहीन हो कर
दिशा से भटक कर
खामोशी से
कभी मिल जाती है
गुमनामी में
और कभी
अचानक से जागकर
बिखर जाती है
इतिहास के पन्नों पर
रच बस जाती है 
कल,आज और कल के
दस्तावेजों में...

ये अधूरे से ख्याल
ये अधूरे से ड्राफ्ट्स
और 
ये अधूरी सी जिंदगी
आखिर
क्यों नहीं होती पूरी ?
कभी कभी ।

~यशवन्त यश©

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