खुद की पहचान से अनजान
कुछ लोग
नहीं कर पाते अंतर
मिट्टी और हीरे में
रहते हैं धोखे में
समझते हुए
खुद को
बहुत बड़ा पारखी
बहुत बड़ा जौहरी
लेकिन नहीं जानते
कि जो
उनके हाथ से छूट कर
अभी गिरा है
वह कीमती है
उसका टूटना
उसका बिखरना
चारों तरफ
दर्द भरी
उसकी आहों का गूंजना
मन के भीतर
किसी तीखी
चुभन से कम नहीं
और जब
ऐसे लोगों को
होता है एहसास
जब समझ आती है
सही चीज की
सही कीमत
तब तक
समय जा चुका होता है
अपनी अलग राह
फिर
हज़ार माफी के बाद भी
पछतावे के बाद भी
रह ही जाता है दर्द
रह ही जाती है खरोंच
पड़ ही जाती है गांठ
जीवन के
एक अध्याय में।
~यशवन्त यश©
कुछ लोग
नहीं कर पाते अंतर
मिट्टी और हीरे में
रहते हैं धोखे में
समझते हुए
खुद को
बहुत बड़ा पारखी
बहुत बड़ा जौहरी
लेकिन नहीं जानते
कि जो
उनके हाथ से छूट कर
अभी गिरा है
वह कीमती है
उसका टूटना
उसका बिखरना
चारों तरफ
दर्द भरी
उसकी आहों का गूंजना
मन के भीतर
किसी तीखी
चुभन से कम नहीं
और जब
ऐसे लोगों को
होता है एहसास
जब समझ आती है
सही चीज की
सही कीमत
तब तक
समय जा चुका होता है
अपनी अलग राह
फिर
हज़ार माफी के बाद भी
पछतावे के बाद भी
रह ही जाता है दर्द
रह ही जाती है खरोंच
पड़ ही जाती है गांठ
जीवन के
एक अध्याय में।
~यशवन्त यश©
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