कभी कभी
सोचता हूँ
क्या रिश्ता है
आसमान
और ज़मीन का ?
रिश्ता है भी
या नहीं
है तो
दूर का
या
पास का ?
कभी देखता हूँ
इन दोनों को
लंबे विछोह के बाद
क्षितिज पर
मिलते हुए
और
कभी देखता हूँ
एक दूसरे को
अपलक ताकते हुए
बारिश की बूंदों सा
बरसते हुए
आंसुओं को
पीते हुए
सृष्टि चक्र के
गहन पाश में
जकड़े हुए
युगों युगों तक
यूं ही जीते हुए
ज़मीन और
आसमान का
मौन -
अलिखित रिश्ता
मोहताज नहीं है
किसी परिभाषा का।
~यशवन्त यश©
इस श्रंखला की पिछली पोस्ट्स
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सोचता हूँ
क्या रिश्ता है
आसमान
और ज़मीन का ?
रिश्ता है भी
या नहीं
है तो
दूर का
या
पास का ?
कभी देखता हूँ
इन दोनों को
लंबे विछोह के बाद
क्षितिज पर
मिलते हुए
और
कभी देखता हूँ
एक दूसरे को
अपलक ताकते हुए
बारिश की बूंदों सा
बरसते हुए
आंसुओं को
पीते हुए
सृष्टि चक्र के
गहन पाश में
जकड़े हुए
युगों युगों तक
यूं ही जीते हुए
ज़मीन और
आसमान का
मौन -
अलिखित रिश्ता
मोहताज नहीं है
किसी परिभाषा का।
~यशवन्त यश©
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