कुछ सपनों का
सच न होना
किसी से मिलना
किसी से बिछड़ना
फूलों के बिस्तर पर सोना
काँटों के रस्ते पर चलना
कभी गिरना,चोट खाना
संभलना
ठहरना
रोना
हँसना
रूठना
मनाना
न जाने क्या क्या सोचना
न जाने क्या क्या लिखना
कुछ पढ़ना
समझना
याद रखना
भूल जाना
इन अनोखी राहों पर
जो भी है
अच्छा ही है।
~यशवन्त यश©
सच न होना
किसी से मिलना
किसी से बिछड़ना
फूलों के बिस्तर पर सोना
काँटों के रस्ते पर चलना
कभी गिरना,चोट खाना
संभलना
ठहरना
रोना
हँसना
रूठना
मनाना
न जाने क्या क्या सोचना
न जाने क्या क्या लिखना
कुछ पढ़ना
समझना
याद रखना
भूल जाना
इन अनोखी राहों पर
जो भी है
अच्छा ही है।
~यशवन्त यश©
No comments:
Post a Comment