16 April 2015

सूने खेतों को अब सिसक कर रोना ही होगा.......

सूने खेतों को अब सिसक कर रोना ही होगा
चूल्हे की आग को दिल में जलना ही होगा
नहीं यहाँ कोई कि जो पी सके आंसुओं को
मजबूरी को हर हाल में बहना ही होगा।

~यशवन्त यश©

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