हर सुबह
ताज़ी हवा में
टहलने जाते लोग .....
मूंह में दातुन दबाए
उछलते कूदते
कसरत करते लोग ....
हँसते गाते
उलझनों को सुलझाते लोग .....
उम्र, धर्म और
जात के बंधन से मुक्त
पार्कों की हरी घास पर
महफिल जमाते लोग ......
जाने क्यों भूल जाते हैं
एकता की बातें
और अनेक हो जाते हैं
अपने छोटे से ड्राइंग रूम में
जिसकी सजीली मेज पर
रखे अखबार की सुर्खियों में
कर्फ़्यू और दंगों की खबरें
आग लगा देती हैं
सुबह की चाय के प्याले में।
~यशवन्त यश©
ताज़ी हवा में
टहलने जाते लोग .....
मूंह में दातुन दबाए
उछलते कूदते
कसरत करते लोग ....
हँसते गाते
उलझनों को सुलझाते लोग .....
उम्र, धर्म और
जात के बंधन से मुक्त
पार्कों की हरी घास पर
महफिल जमाते लोग ......
जाने क्यों भूल जाते हैं
एकता की बातें
और अनेक हो जाते हैं
अपने छोटे से ड्राइंग रूम में
जिसकी सजीली मेज पर
रखे अखबार की सुर्खियों में
कर्फ़्यू और दंगों की खबरें
आग लगा देती हैं
सुबह की चाय के प्याले में।
~यशवन्त यश©
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