अपनी आदतों से मजबूर
कुछ लोग
जाने -अनजाने ही
चल देते हैं
विध्वंस की राह पर
बिना कुछ सोचे
बिना कुछ समझे
अपने पुरातन
परिवेश के आकर्षण में
भूल जाते हैं
समन्वय
अपने स्वभाव
अपनी ज़िद
अपने पूर्वाग्रहों के
वशीभूत हो कर
कुछ लोग
आनंदित होते हैं
जलती चिताओं से उठतीं
ऊंची लपटें देख कर।
~यशवन्त यश©
कुछ लोग
जाने -अनजाने ही
चल देते हैं
विध्वंस की राह पर
बिना कुछ सोचे
बिना कुछ समझे
अपने पुरातन
परिवेश के आकर्षण में
भूल जाते हैं
समन्वय
अपने स्वभाव
अपनी ज़िद
अपने पूर्वाग्रहों के
वशीभूत हो कर
कुछ लोग
आनंदित होते हैं
जलती चिताओं से उठतीं
ऊंची लपटें देख कर।
~यशवन्त यश©
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