पल दर पल
दिन दर दिन
महीनों और
साल दर साल
बीतती तारीखें
अपने जिस्म पर
जख्म और दर्द लिए
बेबसी और लाचारी के
किस्सों में
कहीं दफन हो जाती हैं
और जब
अचानक से याद आती हैं
तब खाली हाथ लिए खड़ा
अगला पल
झट से निगल जाता है
उन यादों को
जैसे बचना चाहता हो
भयंकर भूख के
तीखे एहसास से।
~यशवन्त यश©
दिन दर दिन
महीनों और
साल दर साल
बीतती तारीखें
अपने जिस्म पर
जख्म और दर्द लिए
बेबसी और लाचारी के
किस्सों में
कहीं दफन हो जाती हैं
और जब
अचानक से याद आती हैं
तब खाली हाथ लिए खड़ा
अगला पल
झट से निगल जाता है
उन यादों को
जैसे बचना चाहता हो
भयंकर भूख के
तीखे एहसास से।
~यशवन्त यश©
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