जीवन के
इन उन छोरों पर
अपने अनेक रूप लेकर
आतंक
दिखाता रहता है
खौफ
मासूम दिलों पर
कभी मजहब का
चोला पहन कर
कभी जात,नस्ल
और अनजान कट्टरता का
मुखौटा लगा कर
बेचैन करता रहता है
उन अनगिनत आत्माओं को
जो जुड़ी हुई हैं आपस में
रिश्तों की डोर में ....
इस आतंक का
खौफ का
अंत कभी नहीं होगा
क्योंकि
आतंक
जमा चुका है जड़ें
हमारी दिनचर्या में
अनुशासन की
बैसाखी बन कर।
~यशवन्त यश©
इन उन छोरों पर
अपने अनेक रूप लेकर
आतंक
दिखाता रहता है
खौफ
मासूम दिलों पर
कभी मजहब का
चोला पहन कर
कभी जात,नस्ल
और अनजान कट्टरता का
मुखौटा लगा कर
बेचैन करता रहता है
उन अनगिनत आत्माओं को
जो जुड़ी हुई हैं आपस में
रिश्तों की डोर में ....
इस आतंक का
खौफ का
अंत कभी नहीं होगा
क्योंकि
आतंक
जमा चुका है जड़ें
हमारी दिनचर्या में
अनुशासन की
बैसाखी बन कर।
~यशवन्त यश©
No comments:
Post a Comment