15 June 2015

शेल्फ साहित्य ........

खुद के लिये लिखा
खुद के लिये छपा
कहीं कोने में रखा
खुद का ही
कोई संस्करण
रंगीन आवरण के साथ
खुद के अहं को
तुष्ट करता हुआ
खुद के परिचय को
समृद्ध करता हुआ 
खुद की पूंजी के निवेश से
नये परिवेश रचता हुआ
विक्रय को तरसता हुआ
किसी शेल्फ पर सजता हुआ
खिसियानी हँसी
हँसता हुआ
मन मसोस कर
दिन गिनता हुआ
किसी की बाट जोहता हुआ
खुद के अक्षर
गिन गिन कर
खुद से खुद को
पढ़ पढ़ कर
नहीं ऊबता खुद से
खुद का बना
शेल्फ साहिय !

~यशवन्त यश©

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