कभी
कुछ याद दिलाते
कभी
कुछ बात बताते
बीते पलों का
इतिहास दिखाते
डायरी के पन्ने
कितना कुछ
काला-सफ़ेद
समेटे रहते हैं
अपने भीतर.....
कभी हँसाते
कभी रुलाते
गैरों के बीच
अपना बन कर
कुछ समझाते
कुछ सिखलाते
डायरी के पन्ने
अपनी परतों के
सीमित भूगोल में
समेटे रहते हैं
समुद्र की अथाह गहराई
अंतरिक्ष की
असीमित ऊंचाई
फिर भी
बने रहते हैं
बेहद सादे
असाधारण स्याही के
कई दाग
कई धब्बों को झेल कर
समय की
गर्द में लिपट कर भी
नये जैसे
चमकते रहते हैं
ये डायरी के पन्ने।
~यशवन्त यश©
कुछ याद दिलाते
कभी
कुछ बात बताते
बीते पलों का
इतिहास दिखाते
डायरी के पन्ने
कितना कुछ
काला-सफ़ेद
समेटे रहते हैं
अपने भीतर.....
कभी हँसाते
कभी रुलाते
गैरों के बीच
अपना बन कर
कुछ समझाते
कुछ सिखलाते
डायरी के पन्ने
अपनी परतों के
सीमित भूगोल में
समेटे रहते हैं
समुद्र की अथाह गहराई
अंतरिक्ष की
असीमित ऊंचाई
फिर भी
बने रहते हैं
बेहद सादे
असाधारण स्याही के
कई दाग
कई धब्बों को झेल कर
समय की
गर्द में लिपट कर भी
नये जैसे
चमकते रहते हैं
ये डायरी के पन्ने।
~यशवन्त यश©
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