19 June 2015

चलता जाता हूँ अपनी राह.........

हर रोज़
बहुत सी तमन्नाएँ
दिल में लिए
चलता जाता हूँ
अपनी राह
अँधेरों के उस पार
कुछ देखती
निगाह के साथ
आगाह होता जाता हूँ
हर अगले कदम
अपने वज़ूद को
कायम रखने के
हर जतन करता हुआ
तीरों के निशाने पर
रहता हुआ
हर रोज़
हर लौ के साथ
पिघलता हुआ
चलता जाता हूँ
अपनी राह
सदियों से
सदियों के
सिलसिले में।

~यशवन्त यश©

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