21 June 2015

कुछ भी तो नहीं मेरे पास

कुछ भी तो नहीं
मेरे पास
बस झोली में
लेकर चलता हूँ
आस और विश्वास ....
इन अजीब से जंगलों में
भटकते हुए
यूं ही कभी
थोड़ा बहकते हुए
कुछ निगाहों को
खटकते हुए
देखता हूँ 
समय को
सरकते हुए .....
कुछ भी तो नहीं
मेरे पास
खोखला करतीं
दीमकों को देने के लिए
किसी से कुछ लेने के लिए
इस जीवन को
जीने के लिए
बस लेकर चलता हूँ
हर पल
एक नयी सांस
अपना खोया विश्वास
यहाँ
कुछ भी तो नहीं
मेरे पास।  

~यशवन्त यश©

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