कुछ भी तो नहीं
मेरे पास
बस झोली में
लेकर चलता हूँ
आस और विश्वास ....
इन अजीब से जंगलों में
भटकते हुए
यूं ही कभी
थोड़ा बहकते हुए
कुछ निगाहों को
खटकते हुए
देखता हूँ
समय को
सरकते हुए .....
कुछ भी तो नहीं
मेरे पास
खोखला करतीं
दीमकों को देने के लिए
किसी से कुछ लेने के लिए
इस जीवन को
जीने के लिए
बस लेकर चलता हूँ
हर पल
एक नयी सांस
अपना खोया विश्वास
यहाँ
कुछ भी तो नहीं
मेरे पास।
~यशवन्त यश©
मेरे पास
बस झोली में
लेकर चलता हूँ
आस और विश्वास ....
इन अजीब से जंगलों में
भटकते हुए
यूं ही कभी
थोड़ा बहकते हुए
कुछ निगाहों को
खटकते हुए
देखता हूँ
समय को
सरकते हुए .....
कुछ भी तो नहीं
मेरे पास
खोखला करतीं
दीमकों को देने के लिए
किसी से कुछ लेने के लिए
इस जीवन को
जीने के लिए
बस लेकर चलता हूँ
हर पल
एक नयी सांस
अपना खोया विश्वास
यहाँ
कुछ भी तो नहीं
मेरे पास।
~यशवन्त यश©
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