24 June 2015

बदलता मौसम ......

बदलता मौसम
अपने साथ ही
बादल देता है
मन में पल रहे
एहसासों को
दिखा देता है
नये ढंग
नये रंग
सीखा देता है जीना
और सलीका
नये चौराहों पर
आते जाते
कई विचारों के बीच
नये फ़ासलों
और कम होतीं
दूरियों के बीच
खुद टिकाए -
जमाए रखने का.....
बदलता मौसम
अपनी पहली
बरसात में ही
दहकती धरती पर
बिखरा देता है
अपनी सोंधी खुशबू
जिसके फैलाव में
भूल जाते हैं शब्द भी
सही आकार में ढल कर
सपनों को
साकार करना।

~यशवन्त यश©

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