ऐसे ही होती है
हर दिन की शुरुआत
कभी कुछ चाहते हैं
योजना बनाते हैं
होता कुछ और है
और कभी
अपने आप ही
होने लगता है
सब कुछ
अनुकूल
नकारात्मकता
प्रतिकूलता को
पीछे छोड़ कर
हम बढ्ने लगते हैं आगे
खटकने लगते हैं
कुछ लोगों की आँखों में
फिर भी
जीते जाते हैं
कुछ थोड़े से पल
कभी कभी।
~यशवन्त यश©
हर दिन की शुरुआत
कभी कुछ चाहते हैं
योजना बनाते हैं
होता कुछ और है
और कभी
अपने आप ही
होने लगता है
सब कुछ
अनुकूल
नकारात्मकता
प्रतिकूलता को
पीछे छोड़ कर
हम बढ्ने लगते हैं आगे
खटकने लगते हैं
कुछ लोगों की आँखों में
फिर भी
जीते जाते हैं
कुछ थोड़े से पल
कभी कभी।
~यशवन्त यश©
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