बस यूं ही
लिख देता हूँ
कभी कभी
मन में आती
कुछ बातों को
दे देता हूँ
अपने शब्द
अपने भाव
अपनी संतुष्टि के लिए
अपने अहं
गुस्से और खुशी को
कर देता हूँ ज़ाहिर
कभी कागज़ के
किसी पन्ने पर
कभी साझा कर लेता हूँ
की बोर्ड के खटराग से
अंतर्जाल की
आभासी असीम दुनिया में
सबकी पसंद -नापसंद से
बेशक
बेपरवाह हो कर
अपनी ही धुन में
अपनी ही राह पर
अकेला चल देता हूँ
बस यूं ही
कभी कभी
कुछ लिख देता हूँ।
~यशवन्त यश©
लिख देता हूँ
कभी कभी
मन में आती
कुछ बातों को
दे देता हूँ
अपने शब्द
अपने भाव
अपनी संतुष्टि के लिए
अपने अहं
गुस्से और खुशी को
कर देता हूँ ज़ाहिर
कभी कागज़ के
किसी पन्ने पर
कभी साझा कर लेता हूँ
की बोर्ड के खटराग से
अंतर्जाल की
आभासी असीम दुनिया में
सबकी पसंद -नापसंद से
बेशक
बेपरवाह हो कर
अपनी ही धुन में
अपनी ही राह पर
अकेला चल देता हूँ
बस यूं ही
कभी कभी
कुछ लिख देता हूँ।
~यशवन्त यश©
No comments:
Post a Comment