सबकी अपनी सोच
सबके अपने विचार
नये नये रूप धर कर
सामने आते जाते हैं
आगे बढ़ते जाते हैं
इतिहास में ढल कर
नया कल बन कर
स्वर्णाक्षरों में लिख कर
सूरज सा दिख कर
नयी रोशनी
नया उत्साह
और नयी राह के पार
सबकी अपनी सोच
सबके अपने विचार
खोल देते हैं द्वार
नयी महत्वाकांक्षाओं के।
~यशवन्त यश©
सबके अपने विचार
नये नये रूप धर कर
सामने आते जाते हैं
आगे बढ़ते जाते हैं
इतिहास में ढल कर
नया कल बन कर
स्वर्णाक्षरों में लिख कर
सूरज सा दिख कर
नयी रोशनी
नया उत्साह
और नयी राह के पार
सबकी अपनी सोच
सबके अपने विचार
खोल देते हैं द्वार
नयी महत्वाकांक्षाओं के।
~यशवन्त यश©
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