वक़्त के कत्लखाने में
जल जल कर
स्वाहा होता मन
बस कुछ
ठंडी बौछारों की
तमन्ना लिए
झुलसता रहता है
सैकड़ों तंज़ के
बोझ को
ढोते हुए
क्योंकि यही
उसकी नियति है
हर पल
करना अनुभव
स्वर्ग और नर्क को
यहीं इसी जगह
इसी
वक़्त के कत्लखाने में ।
~यशवन्त यश©
जल जल कर
स्वाहा होता मन
बस कुछ
ठंडी बौछारों की
तमन्ना लिए
झुलसता रहता है
सैकड़ों तंज़ के
बोझ को
ढोते हुए
क्योंकि यही
उसकी नियति है
हर पल
करना अनुभव
स्वर्ग और नर्क को
यहीं इसी जगह
इसी
वक़्त के कत्लखाने में ।
~यशवन्त यश©
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