15 July 2015

बचपन के दिन .....

वो बचपन के दिन
जो बसे हैं
सिर्फ यादों में
कभी कभी
आ जाते हैं सामने
जब देखता हूँ
अपने जैसे ही
किसी शरारती
बच्चे को
गुजरते हुए
सामने की सड़क से
या
किसी पार्क में
खेलते हुए
झूला झूलते हुए
बरसात में भीगते हुए
या अपनी किसी ज़िद में
रोते हुए .....
यह बचपन
यह दिन
यह यादें
और यह अनोखी बातें
कहीं ज़्यादा
कीमती होती हैं
सोने-हीरे के गहनों से
क्योंकि यह दिन
नहीं आ सकते वापस
एक बार
बीत जाने के बाद। 

~यशवन्त यश©

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