यह मुमकिन है
कि कुछ बातें
रह जाती हैं
कहने से
यह मुमकिन है
कि कुछ बातें
रह जाती हैं
सुनने से
और फिर भी
कुछ बातें
दोहराती हैं
खुद को
एक नहीं
कई बार
बार-बार
अपने पहले जैसे
रूपों में
आती रहती हैं
सामनेक्योंकि
यह दोहराव ही
जीवन है
और
जीवन का
अंग है।
~यशवन्त यश©
कि कुछ बातें
रह जाती हैं
कहने से
यह मुमकिन है
कि कुछ बातें
रह जाती हैं
सुनने से
और फिर भी
कुछ बातें
दोहराती हैं
खुद को
एक नहीं
कई बार
बार-बार
अपने पहले जैसे
रूपों में
आती रहती हैं
सामनेक्योंकि
यह दोहराव ही
जीवन है
और
जीवन का
अंग है।
~यशवन्त यश©
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