कई तरह के जज़्बात
कई तरह की बात
अक्सर
मन की राहों पर
मिल कर
बुन लेते हैं
कुछ सपने
फिर नये
चौराहों पर
मिलने को
हार और जीत के
किस्से कहने को ।
-
मैं भी
करता हूँ
खुद से ही
अकेले में
कुछ मन की बात
कभी
कागज़ पर लिख कर
फाड़ देता हूँ
जला देता हूँ
अनकहे को
अनकहा ही
बना देता हूँ
बस कुछ देर तक
और फिर
वापस आ जाता हूँ
अपने ही दौर में ।
~यशवन्त यश©
कई तरह की बात
अक्सर
मन की राहों पर
मिल कर
बुन लेते हैं
कुछ सपने
फिर नये
चौराहों पर
मिलने को
हार और जीत के
किस्से कहने को ।
-
मैं भी
करता हूँ
खुद से ही
अकेले में
कुछ मन की बात
कभी
कागज़ पर लिख कर
फाड़ देता हूँ
जला देता हूँ
अनकहे को
अनकहा ही
बना देता हूँ
बस कुछ देर तक
और फिर
वापस आ जाता हूँ
अपने ही दौर में ।
~यशवन्त यश©
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