इतने लोगों की भीड़ में
कोई आता है
कोई जाता है
खामोशी से
और कोई
पहचान में आता है
चेहरे की शोख़ी से ।
कुछ तेज़ाब से झुलसे चेहरे
कुछ घोर काले
विकृत से चेहरे
अजीब से भले ही लगते हों
पर इन चेहरों से परे
एक अलग सी दुनिया में
उनके भीतर का दिल भी
कुछ ख्वाब सुंदर से सजाता है ।
इतने लोगों की भीड़ में
कोई खुद से पहचान में आता है
जब अपनी ही नज़रों में
कोई खुद को पहचान पाता है।
~यशवन्त यश©
कोई आता है
कोई जाता है
खामोशी से
और कोई
पहचान में आता है
चेहरे की शोख़ी से ।
कुछ तेज़ाब से झुलसे चेहरे
कुछ घोर काले
विकृत से चेहरे
अजीब से भले ही लगते हों
पर इन चेहरों से परे
एक अलग सी दुनिया में
उनके भीतर का दिल भी
कुछ ख्वाब सुंदर से सजाता है ।
इतने लोगों की भीड़ में
कोई खुद से पहचान में आता है
जब अपनी ही नज़रों में
कोई खुद को पहचान पाता है।
~यशवन्त यश©
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