कुछ नये की
तलाश में
रोज़ पलटता हूँ
अखबारों
और पत्रिकाओं के पन्ने
लेकिन
पाता हूँ
वही सब कुछ
खबरें
कहानियाँ
लेख
कविताएं
और विज्ञापन
जो अपने
नये कलेवर में
तलाशते हैं
वही पुराने
पाठक
और खरीददार
जिनकी
पसंद-नापसंद
हर पल
बदलती रहती है
अपने रंग
बिना रुके
बिना थके
नये और
पुराने का खेल
हर बार
खुद को दोहराता है
सुबह
और शाम की तरह।
~यशवन्त यश©
तलाश में
रोज़ पलटता हूँ
अखबारों
और पत्रिकाओं के पन्ने
लेकिन
पाता हूँ
वही सब कुछ
खबरें
कहानियाँ
लेख
कविताएं
और विज्ञापन
जो अपने
नये कलेवर में
तलाशते हैं
वही पुराने
पाठक
और खरीददार
जिनकी
पसंद-नापसंद
हर पल
बदलती रहती है
अपने रंग
बिना रुके
बिना थके
नये और
पुराने का खेल
हर बार
खुद को दोहराता है
सुबह
और शाम की तरह।
~यशवन्त यश©
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