नवनीत सिकेरा (I.G.UP Police) |
एक इंटरव्यू में , मैं बोर्ड मेंबर की हैसियत से बैठा था , मैंने महसूस किया कि बोर्ड मेंबर्स प्रतियोगी छात्र से एक से एक कठिन प्रश्न पूछे रहे हैं और जब वह जवाब नहीं दे पाता है तो बड़ी शान से मेंबर एक दूसरे को , शायद ये बताने के लिए देखो मैं कितना स्मार्ट हूँ , और ये आज कल के लड़के , इनको कुछ नहीं आता । मैं बिलकुल नहीं समझ पा रहा था कि जब लिखित परीक्षा हो चुकी है तब फिर से इन लोगों का विषय का ज्ञान या सामान्य ज्ञान पर साक्षात्कार क्यों हो रहा है । साक्षात्कार यानि पर्सनालिटी टेस्ट
प्रश्न: "स्वेज़ कैनाल की लम्बाई कितनी है"
पहला प्रतियोगी : "193.3 Km " , वेरी गुड
दूसरा प्रतियोगी : " सर नहीं पता " .... इतना भी नहीं पता
मैं देख रहा था कि पहले प्रतियोगी को अच्छे मार्क्स मिल रहे हैं , और ये
मेरी समझ से परे था कि अगर किसी प्रतियोगी को एक प्रश्न का उत्तर पता हो तो
उसकी पर्सनालिटी अच्छी हो गयी , और अगर नहीं आता है तो पर्सनालिटी ख़राब हो
गयी । मुझे तो अपनी ही पर्सनालिटी पर संदेह होने लगा था ।
खैर जब दूसरा प्रतियोगी आया तो मैंने भी कमर कास ली । इस प्रतियोगी को देखकर ही लग रहा था कि पहली बार ही टाई बाँधी है और किसी किसान का लड़का लग रहा था । इस लड़के ने बड़े विश्वास के साथ बोर्ड का सामना किया अब फिर वही प्रश्न स्वेज़ नहर की लम्बाई कितनी है , लड़के ने कुछ सोचा और बोला " सर नहीं पता " और बोर्ड मेंबर के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान तैर गयी । मैंने उस लड़के से पूछा गूगल यूज़ करते हो , वह बोला " जी सर करता हूँ " तब मैंने कहा कि अपना जवाब थोड़ा सा बदल कर दो कहो " सर इस वक़्त याद नहीं है , लेकिन गूगल से तुरंत पता कर लूँगा " फिर मैंने उससे कई सिचुएशंस बताई और उसकी राय जानी की अगर ऐसी स्थिति हो तब क्या निर्णय लोगे और वैसी स्थिति में क्या करोगे । उसने शानदार तरीके से अपनी बात को रखा । पूरा बोर्ड भी उससे प्रभावित हुआ । मैंने आखिरी प्रश्न पूछा की अगर ये जॉब तुमको मिल जाये तो सबसे पहला काम क्या करोगे ? उसने कहा "सर सबसे पहले मंदिर जाकर माथा टेकूंगा कि इस लांछन से मुक्ति मिली ," कि करते क्या हो ?" नस्तर की तरह चुभता है ये सवाल और ये कहते कहते उसकी आँखे भर आयीं "
फिर जाते जाते मैंने उससे पुछा टाई तुमने खुद बाँधी है तो उसने बड़ी ईमानदारी से कहा " सर जिन्दगी में पहली बार टाई पहनी है , एक परिचित से बंधवाई है "
इस लड़के को इंटरव्यू में अच्छे मार्क्स मिले थे अब उसको जॉब मिला या नहीं मिला नहीं कह सकता , लेकिन हाँ मेरे दो तीन दिन बोर्ड में गुजारने से बोर्ड मेंबर्स का नजरिया जरूर बदला , आशा करता हूँ कि इंटरव्यू में पर्सनालिटी टेस्ट ही हो नाकि इनफार्मेशन टेस्ट।
~आदरणीय सिकेरा जी की फेसबुक वॉल से साभार~
खैर जब दूसरा प्रतियोगी आया तो मैंने भी कमर कास ली । इस प्रतियोगी को देखकर ही लग रहा था कि पहली बार ही टाई बाँधी है और किसी किसान का लड़का लग रहा था । इस लड़के ने बड़े विश्वास के साथ बोर्ड का सामना किया अब फिर वही प्रश्न स्वेज़ नहर की लम्बाई कितनी है , लड़के ने कुछ सोचा और बोला " सर नहीं पता " और बोर्ड मेंबर के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान तैर गयी । मैंने उस लड़के से पूछा गूगल यूज़ करते हो , वह बोला " जी सर करता हूँ " तब मैंने कहा कि अपना जवाब थोड़ा सा बदल कर दो कहो " सर इस वक़्त याद नहीं है , लेकिन गूगल से तुरंत पता कर लूँगा " फिर मैंने उससे कई सिचुएशंस बताई और उसकी राय जानी की अगर ऐसी स्थिति हो तब क्या निर्णय लोगे और वैसी स्थिति में क्या करोगे । उसने शानदार तरीके से अपनी बात को रखा । पूरा बोर्ड भी उससे प्रभावित हुआ । मैंने आखिरी प्रश्न पूछा की अगर ये जॉब तुमको मिल जाये तो सबसे पहला काम क्या करोगे ? उसने कहा "सर सबसे पहले मंदिर जाकर माथा टेकूंगा कि इस लांछन से मुक्ति मिली ," कि करते क्या हो ?" नस्तर की तरह चुभता है ये सवाल और ये कहते कहते उसकी आँखे भर आयीं "
फिर जाते जाते मैंने उससे पुछा टाई तुमने खुद बाँधी है तो उसने बड़ी ईमानदारी से कहा " सर जिन्दगी में पहली बार टाई पहनी है , एक परिचित से बंधवाई है "
इस लड़के को इंटरव्यू में अच्छे मार्क्स मिले थे अब उसको जॉब मिला या नहीं मिला नहीं कह सकता , लेकिन हाँ मेरे दो तीन दिन बोर्ड में गुजारने से बोर्ड मेंबर्स का नजरिया जरूर बदला , आशा करता हूँ कि इंटरव्यू में पर्सनालिटी टेस्ट ही हो नाकि इनफार्मेशन टेस्ट।
~आदरणीय सिकेरा जी की फेसबुक वॉल से साभार~
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