वह एक ही हैं
वह एक ही थे,
सबसे बड़े बेवकूफ़
हम ही थे।
शक तो पहले भी था
अब तो सबूत भी है
बात पहले से
और मजबूत भी है ।
यह भी अच्छा हुआ
कि राहें अलग हो चलीं
फिर भी हलचलों का
अब तक वजूद भी है ।
हमें हारा समझना
उनकी ना समझ है
भीतर के कालों की
थोड़ी ऊपरी चमक है ।
वह अब भी वही हैं
वह तब भी वही थे
सफ़ेद पर्दों के भीतर
स्याह चेहरे वही थे ।
वह एक ही थे,
सबसे बड़े बेवकूफ़
हम ही थे।
शक तो पहले भी था
अब तो सबूत भी है
बात पहले से
और मजबूत भी है ।
यह भी अच्छा हुआ
कि राहें अलग हो चलीं
फिर भी हलचलों का
अब तक वजूद भी है ।
हमें हारा समझना
उनकी ना समझ है
भीतर के कालों की
थोड़ी ऊपरी चमक है ।
वह अब भी वही हैं
वह तब भी वही थे
सफ़ेद पर्दों के भीतर
स्याह चेहरे वही थे ।
थी गलती हमारी
उन्हें अपना समझने की
मतलब के 'रिश्तों' से
अनजान हम ही थे।
~यशवन्त यश©
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना यश जी।कविता एक तरफ आत्मविश्वास दर्शाती है तो दूसरी तरफ रिश्तो की सच्चाई बयाँ करती है।बहुत खूब।
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