कुछ
रिश्ते
अनचाहे ही
ढोए जाते हैं
गधे की पीठ पर लदे
बोझे की तरह
अपनी सुस्त चाल
चलते जाते हैं
और आखिरकार
पटक दिये जाते हैं
किसी घाट पर
धो-पोछ कर
सुखा कर
फिर से झेलने को
या
कर दिये जाते हैं
प्रवाहित
हमेशा के लिए
मुक्त हो जाने को।
~यशवन्त यश©
रिश्ते
अनचाहे ही
ढोए जाते हैं
गधे की पीठ पर लदे
बोझे की तरह
अपनी सुस्त चाल
चलते जाते हैं
और आखिरकार
पटक दिये जाते हैं
किसी घाट पर
धो-पोछ कर
सुखा कर
फिर से झेलने को
या
कर दिये जाते हैं
प्रवाहित
हमेशा के लिए
मुक्त हो जाने को।
~यशवन्त यश©
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