यूं ही चलते चलते
कभी कदम
थम जाते हैं
थोड़ा सुस्ताते हैं
और फिर
चलने लग जाते हैं
उसी पूरी रफ्तार से
कई सुबहों
और
कई शामों की
परिक्रमा लगाते लगाते
फिर एक दिन
जब सोते हैं
तब जागते हैं
किसी नये चोले के भीतर
किसी और
अलग सी दुनिया में
यूं ही चलते चलते।
~यशवन्त यश©
कभी कदम
थम जाते हैं
थोड़ा सुस्ताते हैं
और फिर
चलने लग जाते हैं
उसी पूरी रफ्तार से
कई सुबहों
और
कई शामों की
परिक्रमा लगाते लगाते
फिर एक दिन
जब सोते हैं
तब जागते हैं
किसी नये चोले के भीतर
किसी और
अलग सी दुनिया में
यूं ही चलते चलते।
~यशवन्त यश©
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