फिलहाल कुछ नहीं
न लिखने को
न कहने को
न सुनने को
फिलहाल तो बस
अपनी धुन में
चलते चलते
किसी राह पर
ठोकर खा कर
गिरते हुए
कभी संभलते हुए
आँखों पर
ज़िद्द की पट्टी बांधे
कुछ सोचता हुआ
कल के बारे में
चलता जा रहा हूँ
उस अनजान
मंज़िल की तरफ
जिसका पता
फिलहाल कुछ नहीं।
~यशवन्त यश©
न लिखने को
न कहने को
न सुनने को
फिलहाल तो बस
अपनी धुन में
चलते चलते
किसी राह पर
ठोकर खा कर
गिरते हुए
कभी संभलते हुए
आँखों पर
ज़िद्द की पट्टी बांधे
कुछ सोचता हुआ
कल के बारे में
चलता जा रहा हूँ
उस अनजान
मंज़िल की तरफ
जिसका पता
फिलहाल कुछ नहीं।
~यशवन्त यश©
bahut sundar...mai kitne dino se apko facebook par dhundh rahi thi...aap active nahi hai wha?
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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