21 September 2015

बस यूं ही.......

न यहाँ ज्ञान है
न विज्ञान है
न साहित्य है
न कविता है
न कहानी है
न कोई विधा है
यहाँ तो बस
कुछ बातें हैं
जो मन में आती हैं
और लिख जाती हैं
दर्ज़ हो जाती हैं
डायरी की तरह
हर आने वाले कल
अपनी याद दिलाने के लिए
यूं ही पलटते हुए
अनकहे ही
कुछ कह जाने के लिए ।

~यशवन्त यश©

1 comment: