आतंक
बस आतंक होता है
जो शर्मिंदा कर देता है
नर्क की आग को भी
अपने क्रूर
वीभत्स रूप से।
आतंक
बस आतंक होता है
जो किसी किताब में
पढ़ाया नहीं जाता
बताया नहीं जाता
सिर्फ महसूस किया जाता है
मासूम और
अनाथ आँखों से बहते
दर्द के झरने में ।
~यशवन्त यश ©
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