मुनासिब नहीं पत्थरों से कुछ कहना
क्योंकि पत्थर इंसान नहीं होते
मुनासिब नहीं इन्सानों से कुछ कहना
क्योंकि इंसान पत्थर नहीं होते
तो किससे कहें किस्से अपने मन के
डायरी के सब पन्ने भी अपने नहीं होते
हवा को अपना बनाकर है हमें यूं ही चलना
कहीं तो पहुंचेंगे ही कहीं उड़ते उड़ते।
~यशवन्त यश©
क्योंकि पत्थर इंसान नहीं होते
मुनासिब नहीं इन्सानों से कुछ कहना
क्योंकि इंसान पत्थर नहीं होते
तो किससे कहें किस्से अपने मन के
डायरी के सब पन्ने भी अपने नहीं होते
हवा को अपना बनाकर है हमें यूं ही चलना
कहीं तो पहुंचेंगे ही कहीं उड़ते उड़ते।
~यशवन्त यश©
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