मंडी में बिकते,महंगे आलुओं के संग,
अमीरों के थाल में सजतीं ,महंगी दालों के संग,
इरोम शर्मीला के अनशन के, पंद्रह सालों के संग,
दिखा रहे हैं अच्छे दिन, अब अपने कई रंग।
~यशवन्त यश©
अमीरों के थाल में सजतीं ,महंगी दालों के संग,
इरोम शर्मीला के अनशन के, पंद्रह सालों के संग,
दिखा रहे हैं अच्छे दिन, अब अपने कई रंग।
~यशवन्त यश©
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (06-11-2015) को "अब भगवान भी दौरे पर" (चर्चा अंक 2152) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बिल्कुल सही।
ReplyDeleteखूब लिखा है :)
ReplyDeleteक्या बात ……
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