30 November 2015

कुछ लोग-33

अपना दिमाग लगाए बिना
फर्जी रिश्तों के जाल में फाँस कर
कभी भाई बना कर
कभी बहन बन कर
कुछ लोग
अपना उल्लू सीधा होते ही
खड़ी कर लेते हैं अपनी दुकान
दूसरों के दिमाग से।
वही अवधारणा
वही परिकल्पना
वही भाषा
वही चेहरे
और वही मोहरे
लेकिन नहीं
तो केवल वह बहाने
वह अवकाश।
वह आज मुक्त हैं
आनंद में हैं
सीधेपन को
बेवकूफी समझ कर
खुद को पीछे रख कर
औरों से भिड़ा कर
कुछ लोग
आज के आनंद में
भूल जाते हैं
अपना बीता हुआ
कल।

~यशवन्त यश©

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