न जाने किस नशे में
कभी कभी
लड़खड़ा जाते हैं कदम
न जाने किन उम्मीदों में
कभी कभी
बढ़ते जाते हैं कदम
जो भी हो
ये उम्मीदें
कभी उत्साह देती हैं
कभी तनाव देती हैं
फिर भी
नहीं छोड़ती हैं साथ
हर पल कर कहीं।
~यशवन्त यश©
कभी कभी
लड़खड़ा जाते हैं कदम
न जाने किन उम्मीदों में
कभी कभी
बढ़ते जाते हैं कदम
जो भी हो
ये उम्मीदें
कभी उत्साह देती हैं
कभी तनाव देती हैं
फिर भी
नहीं छोड़ती हैं साथ
हर पल कर कहीं।
~यशवन्त यश©
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.11.2015) को "दीपावली विशेषांक"(चर्चा अंक-2157) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!
बेहतरीन प्रस्तुति,
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