हर जगह हैं रोकने वाले
हर जगह हैं टोकने वाले
अपने मन की करने वाले
नहीं किसी की सुनने वाले
दौर ए तानाशाही में
कड़वा सच नहीं कुबूलने वाले
बन बैठे जग के रखवाले ।
क्या किसी को कुछ करना है
हाथ पर हाथ धर चुप रहना है
हर बोलने वाले की गर्दन को
तेज़ छुरी से कलम करना है ।
अब तो बस यही करम करना है।
~यशवन्त यश©
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