नवाबों के शहर में जहाँ
बिखरे हैं कई रंग
हजरातों की बस्ती
जिसे कहते हैं हज़रत गंज ।
यह मेरे शहर की
धड़कन है
जान है
इसकी हर अदा पे फिदा
हर बूढ़ा और नौजवान है ।
यहाँ मोटरों के रेले हैं
चाटों के ठेले हैं
यहाँ के बरामदों में
सभ्यताओं के मेले हैं ।
बुर्कानशीं हैं यहाँ
तो बेपरवाह मस्तियाँ हैं
कॉफी की चुस्कीयों संग
साहित्य की गोष्ठियाँ हैं ।
पहनावे मिलते हैं यहाँ
दुकानों पे तरह तरह के
दिखावे दिखते हैं यहाँ
इन्सानों में तरह तरह के ।
मैंने देखा है यहाँ
जूठनों को चाटता बचपन
नवाबों का शहर और
हजरातों का हज़रत गंज।
~यशवन्त यश©
बिखरे हैं कई रंग
हजरातों की बस्ती
जिसे कहते हैं हज़रत गंज ।
यह मेरे शहर की
धड़कन है
जान है
इसकी हर अदा पे फिदा
हर बूढ़ा और नौजवान है ।
यहाँ मोटरों के रेले हैं
चाटों के ठेले हैं
यहाँ के बरामदों में
सभ्यताओं के मेले हैं ।
बुर्कानशीं हैं यहाँ
तो बेपरवाह मस्तियाँ हैं
कॉफी की चुस्कीयों संग
साहित्य की गोष्ठियाँ हैं ।
पहनावे मिलते हैं यहाँ
दुकानों पे तरह तरह के
दिखावे दिखते हैं यहाँ
इन्सानों में तरह तरह के ।
मैंने देखा है यहाँ
जूठनों को चाटता बचपन
नवाबों का शहर और
हजरातों का हज़रत गंज।
~यशवन्त यश©