10 June 2017

सब अच्छा है.....

नहीं कहीं कमी कोई
जो दिख रहा वह अच्छा है
जो कुछ अब तक सुना-सुनाया
सबने कहा वह सच्चा है।

बांध आँख पर काली पट्टी
डूब कर दिन के सपनों में
अच्छा-अच्छा अपने कहते
जो मन कहता वह सच्चा है।

लंबी चादर तान कर सोता
दिन-रात का पता नहीं कुछ
मुझ से आ कर यह मत पूछो
बाहर शोर क्यूँ शोर होता है ।

नहीं कहीं कमी कोई
जो दिख रहा वह अच्छा है
बुरा बराबर जो जो कहता
वह सब अकल का कच्चा है।

-यश ©
10/जून/2017

01 June 2017

वहीं उसी मोड़ पर ......

बीत रहा है
साल दर साल
और मैं वहीं
उसी मोड़ पर
हूँ खड़ा
जहाँ
मेरी तक़दीर
या
कारनामे
छोड़ गए थे
बीती
कई सदियों पहले।
 .
मैं
तब से आज तक
धूप -छाँह
आँधी -तूफान
और
न जाने क्या क्या
झेलता हुआ
सहता हुआ
खुद से
खुद की
कहता हुआ
बस कर रहा हूँ -
तलाश
तो सिर्फ
उस पल की
जिस पल
कोई मुक्तिदूत
आ कर
दिखा दे राह
इस मूर्त जन्म से
किसी नये
पारदर्शी जन्म की।

-यश ©