पूछ रहा हूँ खुद से
कि कौन हूँ मैं ।
कहीं अंधेरे में छुपा
अनकहा मौन हूँ मैं ।
मैंने धोखे खाए हैं
उजालों से हर दफा
कहीं कब्र में दफनाए हैं
अपने ख्याल हर मर्तबा
सच की इबारत हूँ
या तिलिस्मी झूठ हूँ मैं ?
पूछ रहा हूँ खुद से कि कौन हूँ मैं ।
-यश ©
14/02/2018
एक सवाल जो हरेक को स्वयं से पूछना चाहिए
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