15 April 2018

खामोश नहीं रहेंगे

सब खामोश हैं और सब खामोश ही रहेंगे
जो अब तक बोलते थे बहुत कुछ 
कुछ भी नहीं कहेंगे।  

इस दौर में उतर रहे हैं कई ओढ़े हुए नकाब 
नकली चेहरों को नहीं सूझ रहे 
चुभते सवालों के जवाब।  

अब तक सहा सभी ने अब और नहीं सहेंगे 
जो अब तक झेलते थे बहुत कुछ 
खामोश नहीं रहेंगे। 

-यश ©
15/04/2018

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-04-2017) को ""चुनाव हरेक के बस की बात नहीं" (चर्चा अंक-2943) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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